बिहार सरकार के दो मंत्रियों के बेटा-बेटी के बीच समस्तीपुर में सीधा मुकाबला, अब तक भाजपा ने देखी हार
समस्तीपुर.
समस्तीपुर संसदीय क्षेत्र बिहार की हॉट सीटों में से एक है। इस सीट पर बिहार सरकार के दो मंत्रियों के बेटा और बेटी आमने-सामने हैं। एनडीए से लोजपा रामविलास की उम्मीदवार बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी की बेटी शांभवी मैदान में हैं। जबकि इंडिया गठबंधन से कांग्रेस के उम्मीदवार बिहार सरकार में मंत्री महेश्वर हजारी के बेटे सनी हजारी मैदान में हैं। इस कारण से इस सीट पर पूरे देश की नजर है। हालांकि इस संसदीय क्षेत्र से 12 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं।
इस संसदीय क्षेत्र में समस्तीपुर के अलावा कल्याणपुर, वारिसनगर, रोसड़ा, हायाघाट और कुशेश्वरस्थान विधान सभा आती हैं। इस क्षेत्र में 17.48 लाख मतदाता हैं। इस इलाके के लोग बाढ़ की समस्या से त्रस्त हैं। इलाके के लोग ज्यादातर परदेस में रहते हैं। शहर में भोला टॉकीज पर जाम सबसे बड़ा मुद्दा है। शहर के लोग दो दशक से यहां पर रोड ओवरब्रिज की मांग कर रहे हैं। लेकिन अब तक पुल का निर्माण नहीं हो पाया। हालांकि यह चुनावी मुद्दा नहीं बन पाया। यहां बाहरी बनाम लोकल का मुद्दा हावी है।
एक नजर में संसदीय क्षेत्र
कृषि प्रधान समस्तीपुर जिले में बड़े पैमाने पर सब्जी और मसालों की खेती होती है। समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र में जातीय समीकरण के हिसाब से कुशवाहा और यादव जाति की आबादी ज्यादा है। हालांकि, अगड़ी जाति, अनुसचित जाति और मुसलमानों की संख्या भी कम नहीं हैं। इसके अलावा अति पिछड़े वोटर भी चुनाव को गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं। इन पर सभी राजनीतिक दलों के नेताओं की निगाहें रहती हैं। सभी इन्हें साधने के लिए तरीके निकालते रहते हैं। इस क्षेत्र में डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के अलावा उद्योग के नाम पर हसनपुर चीनी मिल और कल्याणपुर रामेश्वर जूट मिल है। चीनी मिल तो नियमित चलती है, लेकिन जूट मिल कभी बंद होता है तो कभी चलती है। वहीं, अन्य उद्योग अब पूरी तरह बंद हो चुकी है। इसके बाद समस्तीपुर में कोई नई फैक्ट्री नहीं खुली। बूढ़ी गंडक, बागमती, गंगा, कोसी, कमला और बलान नदियों से घिरे लोकसभा क्षेत्र में बाढ़ सबसे बड़ी समस्या है। हालांकि यह कभी चुनावी मुद्दा नहीं बना। केंद्रीय मुद्दों पर नेता चुनाव जीतते रहे।
समस्तीपुर (एससी) लोकसभा क्षेत्र में मतदाताओं का विश्लेषण
2011 की जनगणना के अनुसार, समस्तीपुर (एससी) लोकसभा क्षेत्र में कुल मतदाता 17,48,865 हैं। इनमें एससी मतदाताओं की संख्या लगभग 341,029 है। कुल मतदाताओं का यह लगभग 19.5 फीसदी हिस्सा है। समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र में सवर्ण 16 फीसदी और यादव करीब 11 प्रतिशत हैं। वहीं, महज 0.1 फीसदी एसटी मतदाता हैं। इनकी आबादी लगभग 1,749 है। मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 12.6 फीसदी यानी 220,482 है। वहीं, ग्रामीण मतदाताओं की संख्या लगभग 16,63,171 यानी लगभग 95.1 प्रतिशत है। वहीं, शहरी मतदाताओं की संख्या लगभग 85,694 यानी लगभग 4.9 फीसदी है। लोकसभा क्षेत्र में फिलहाल 2,517 बूथ हैं। लोकसभा चुनाव 2019 में यहां 60.9 फीसदी मतदान दर्ज किया गया था।
समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र की विधानसभा सीटों पर कौन काबिज
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र की छह विधानसभा सीटों में से जदयू को तीन कुशेश्वरस्थान से शशिभूषण हजारी, कल्याणपुर से महेश्वर हजारी, वारिसनगर से अशोक कुमार और भाजपा को दो रोसड़ा से वीरेंद्र कुमार तथा हायाघाट से राम चंद्र प्रसाद और राजद को एक समस्तीपुर से अख्तरुल इस्लाम शाहीन को जीत मिली थी। कुशेश्वरस्थान के विधायक शशि भूषण हजारी के निधन हो जाने बाद 2021 में हुए उप चुनाव में जदयू ने उनके बेटे अमन भूषण हजारी को उम्मीदवार बनाया और उन्होंने जीत हासिल की।
समस्तीपुर में लोकसभा चुनाव 2019 में कैसा रहा था हाल
समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र में लोकसभा चुनाव 2019 में 12 प्रत्याशियों ने भाग्य आजमाया था, लेकिन मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच हुआ था। लोक जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवार रामचंद्र पासवान ने लगातार दूसरी बार जीत हासिल की थी। उन्होंने लोकसभा क्षेत्र की सभी छह विधानसभा सीटों पर बढ़त हासिल कर अपने नजदीकी प्रतिद्वंदी कांग्रेस उम्मीदवार डॉ. अशोक राम को 1,02090 वोट के अंतर से हराया था। दिलचस्प बात है कि तब नोटा विकल्प तीसरे स्थान पर रहा था।
विजयी होने के कुछ महीनों के बाद रामचंद्र पासवान का निधन हो गया था। इसके बाद हुए उपचुनाव में उनके बेटे प्रिंस राज चुनाव मैदान में उतरे थे। कांग्रेस के उम्मीदवार डॉ. अशोक राम को अपने पिता की तरह ही प्रिंस राज ने भी लोकसभा सीट की सभी विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त हासिल कर मात दी। इस बार तीसरे स्थान पर निर्दलीय प्रत्याशी सूरज कुमार दास थे। वहीं, नोटा को चौथा स्थान मिला था।
समस्तीपुर सांसद के कार्य —
0- औरंगाबाद- दरभंगा वाया ताजपुर सिक्स लेन पथ के निर्माण में भूमिका
0- शहर के भोला टॉकीज पर आरओबी के लिए केंद्रीय मंत्री से मिलकर राशि का आवंटन कराना
0- संसदीय क्षेत्र में 150 से अधिक सड़कों का निर्माण कराना
0- बाढ़ नियंत्रण को लेकर कई कार्य
0- समस्तीपुर शहर की बूढ़ी गंडक नदी पर दोहरे पुल का निर्माण
0- मुक्तापुर रेलवे गुमटी पर आरओबी
0- समस्तीपुर शहर में जिम और पार्क का निर्माण
समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र के अब तक के सांसद —
0- 1952: सत्य नारायण सिन्हा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (समस्तीपुर पूर्व के रूप में)
0- 1957: सत्य नारायण सिन्हा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
0- 1962: सत्य नारायण सिन्हा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
0- 1962: यमुना प्रसाद मंडल, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (जयनगर से)
0- 1967: यमुना प्रसाद मंडल, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
0- 1971: यमुना प्रसाद मंडल, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
0- 1977: कर्पूरी ठाकुर, जनता पार्टी
0- 1978: उपचुनाव: अजीत कुमार मेहता, जनता पार्टी
0- 1980: अजीत कुमार मेहता, जनता पार्टी (एस)
0- 1984: रामदेव राय, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
0- 1989: मंजय लाल कुशवाहा, जनता दल
0- 1991: मंजय लाल, जनता दल
0- 1996: अजीत कुमार मेहता, जनता दल
0- 1998: अजीत कुमार मेहता, राष्ट्रीय जनता दल
0- 1999: संजय लाल, जनता दल (यूनाइटेड)
0- 2004: आलोक कुमार मेहता, राष्ट्रीय जनता दल
0- 2009: महेश्वर हजारी, जनता दल (यूनाइटेड)
0- 2014: रामचंद्र पासवान, लोक जनशक्ति पार्टी
0- 2019: रामचंद्र पासवान, लोक जनशक्ति पार्टी
0- 2019: रामचंद्र पासवान के निधन के बाद उप चुनाव में उनके बेटे प्रिंस राज (लोजपा) ने जीत हासिल की।
भाजपा का नहीं खुला खाता –
समस्तीपुर लोकसभा सीट पर 1952 से लेकर 2019 तक हुए 17 लोकसभा चुनावों में भाजपा का खाता तक नहीं खुल सका है। देश में आपातकाल लगने से पहले 1952 से 1971 तक इस सीट पर हुए पांच लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने लगातार जीत का परचम लहराया था। वहीं, आपातकाल के बाद समस्तीपुर लोकसभा सीट पर हुए 12 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस सिर्फ एक बार जीत पाई है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निधन के बाद सहानुभूति लहर में कांग्रेस के रामदेव राय 1984 में लोकसभा चुनाव जीत गए थे। उन्होंने लोक दल के उम्मीदवार कर्पूरी ठाकुर को हरा दिया था। इसके अलावा 1977 से बाद से अब तक समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र में समाजवाद के नेताओं का दबदबा कायम है।